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पद्म भूषण श्री रामविलास पासवान

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रामविलास पासवान: सामाजिक उत्थान और वैचारिक संदेश के वाहक

देश के कद्दावर राजनेताओं में पद्म भूषण स्व० रामविलास पासवान की देश के कई कोनों में हर साल 5 जुलाई को जन्मदिन मनाया जाता है। उनका जन्म बिहार के खगड़िया जिले में स्थित शहरबन्नी गांव में अनुसूचित जाति के दंपति श्री जामुन पासवान और श्रीमती शांति देवी के घर साल 1946 में हुआ था। उन्हें जन्मदिन के मौके पर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के कार्यकर्ता ही नहीं, बल्कि वे तमाम लोग भी श्रद्धांजलि देकर उनके कृतित्व, व्यक्तित्व समेत सामाजिक उत्थान के लिए जनहित के लिए उन कार्यों को याद करते हैं, जिसका किसी न किसी रूप में लाभ लोगों को दशकों से निरंतर मिलता रहा है।

वह लाभ चाहे सस्ती जनऔषधी की दुकानों पर बिकने वाली दवाइयों का हो, मुफ्त अनाज की सुविधाओं का हो, सस्ती दरों के मोबाइल कॉल की शुरूआत की गई सहुलियतें और हाजीपुर रेलवे जोन बनाने से लेकर उत्तर बिहार की सभी छोटी और मीटरगेज की रेललाइनों को बड़ी लाइन में बदलने का हो, या फिर अतिपिछड़ों को नौकरियों में मिलने वाले 26 प्रतिशत आरक्षण का ही क्यों न हो। इन सामाजिक योगदान को लेकर रामविलास पासवान हमेशा याद किए जाते रहेंगे। इसके अतिरिक्त उनके द्वारा किए गए दर्जनों कई और भी सैंकड़ों काम हैं, जिससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर भारत का सामान्य नागरिक लाभान्वित होता आया है। पचास साल की राजनीति में रामविलास पासवान का कद कितना ऊंचा है, इसका अंदाजा इस बात से ही लग जाता है कि उन्हें देश के छह प्रधानमंत्रियों— वीपी सिंह, एच० डी० देवेगौड़ा, आई० के० गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, डा० मनामनोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के साथ काम करने का अवसर मिला। इस दौरान उन्होंने कुल सात कंद्रीय मंत्रालयों में कार्य करते हुए दर्जन भर विभागों का कार्यभार संभाला। यहां तक कि जीवन के अंतिम समय तक वे मंत्री के पद पर रहते हुए कोविड—19 के दौरान लॉकडाउन में लोगों को अनाज वितरण का कार्य संभालते रहे।


बिहार समेत देश—विदेश में वैश्विक पहचान रखने वाले रामविलास पासवान के नाम एक गिनेज बुक का विश्व रिकॉर्ड भी है, जिसे अब तक कोई नेता नहीं तोड़ पाए हैं। वह रिकार्ड सर्वाधिक मतों से लोकसभा चुनाव जीतने का है। यह ​जीत उन्हें आपातकाल के बाद 1977 के लोकसभा चुनावों में मिली थी। उन्होंने हाजीपुर सीट पर चार लाख मतों के रिकार्ड अंतर से जीत हासिल की थी। उसके बाद से रामविलास पासवान और हाजिपुर एक—दूसरे के पर्याय बन गए। वहां की जनता उन्हें लगातार लोकसभा भेजती रही। वह हाजीपुर के लोगों के दिलों में इस कदर बसे हुए थे कि वहां की जनसभाओं में अक्सर कह देते थे— हाजीपुर की धरती मेरी मां समान है! इसका उन्होंने जीवनपर्यंत निर्वाह भी किया। हाजीपुर के लिए कई सौगातें दी। हाजीपुर में नया रेलवे जोन से लेकर राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं की स्थापना का श्रेय रामविलास पासवान को ही जाता है।

राजनीतिक यात्रा

रामविलास पासवान की राजनीतिक यात्रा 1969 से शुरु हुई। अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत के बारे में रामविलास पासवान अक्सर जिक्र किया करते थे, जो कुछ कम हैरानी से भरा नहीं था। उन्होंने बताया था कि साल 1969 में मेरा पुलिस और विधानसभा, दोनों में एक साथ सेलेक्शन हुआ। तब मेरे एक मित्र ने पूछा कि बताओ सरकार बनना है या सर्वेंट? तब मैंने राजनीति चुन ली!

उस वक्त तक वह कोशी कॉलेज, पिल्खी और पटना विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक और मास्टर ऑफ़ आर्ट्स की डिग्री हासिल कर चुके थे। उन्हीं दिनों वह राजनीतिक जीवन संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य के बन चुके थे और 1969 में बिहार विधानसभा के लिए चुने गए। इसके बाद 1974 में लोकदल के गठन के बाद उसमें शामिल हो गए। वे महासचिव बनाए गए। वे व्यक्तिगत रूप से राज नारायण, कर्पूरी ठाकुर और सत्येंद्र नारायण सिन्हा जैसे आपातकाल के प्रमुख नेताओं के करीबी रहे। वे मोरारजी देसाई से अलग हो गए और जनता पार्टी-एस में लोकबंधु राज नारायण के नेतृत्व में पार्टी के अध्यक्ष और बाद में इसके चेयरमैन के रूप में जुड़े रहे। 1975 में, जब भारत में आपातकाल की घोषणा की गई, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन्होंने पूरा समय जेल में बिताया।1977 में रिहा होने पर, वे जनता पार्टी के सदस्य बन गए और पहली बार इसकी टिकट पर संसद के लिए चुनाव जीत हासिल की। उन्होंने सबसे अधिक अंतर से चुनाव जीतने का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया। 1977 में लोकसभा चुनाव के समय उन्होंन हाजीपुर निर्वाचन क्षेत्र को चुना। जनता पार्टी के सदस्य के रूप में लोकसभा में प्रवेश किया। उसके बाद वे 1980,1989,1996,1998,1999,2004 और 2014 लोकसभा के लिए चुने जाते रहे। हालांकि वे दो बार राज्यसभा के सदस्य भी रहे। वे 1980 और 1984 में हाजीपुर निर्वाचन क्षेत्र से 7 वीं लोकसभा के लिए फिर से चुने गए। 1983 में उन्होंने दलित मुक्ति और कल्याण के लिए एक संगठन दलित सेना की स्थापना की।

इन्होंने 1989 में 9 वीं लोकसभा के लिए फिर से चुने गए और उन्हें विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार में केंद्रीय श्रम और कल्याण मंत्री नियुक्त किया गया। 1996 में उन्होंने लोकसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन का भी नेतृत्व किया क्योंकि प्रधान मंत्री राज्य सभा के सदस्य थे। यह वह वर्ष भी था जब वे पहली बार केंद्रीय रेल मंत्री बने। उन्होंने 1998 तक उस पदभार को संभाला। इसके बाद वे अक्टूबर 1999 से सितंबर 2001 तक केंद्रीय संचार मंत्री रहे।

रामविलास पासवान से राजनीतिक जीवन में सबसे बड़ी उपलब्धि 1989 में तब मिली जब जीत के बाद वीपी सिंह की कैबिनेट में पहली बार शामिल किए गए। तब वे श्रम मंत्री बनाए गया। एक दशक के भीतर ही वह एचडी देवगौडा और आईके गुजराल की सरकारों में रेल मंत्री बने। 1990 के दशक में जिस जनता दल धड़े से पासवान जुड़े थे, उसने भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का साथ दिया। वे संचार मंत्री बनाए गए। बाद में अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में वह कोयला मंत्री बने

बाबू जगजीवन राम के बाद बिहार में उनकी पहचान भी एक दलित नेता के तौर पर बन गई, लेकिन उन्होंने कई ऐसे कार्य किए जिससे वह सर्वप्रिय राजनेता बन गए। पहचान बनाने के लिए उन्होंने आगे चलकर अपनी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) की स्थापना की। वह 2002 में गुजरात दंगे के बाद विरोध में राजग से बाहर निकल गए। कांग्रेस नीत संप्रग की ओर गए। दो साल बाद ही सत्ता में संप्रग के आने पर वह मनमोहन सिंह की सरकार में, स्टील, रसायन एवं उर्वरक मंत्री नियुक्त किए गए।

2000 में लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) का गठन किया। इसके बाद 2004 में वे सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में शामिल हो गए। उस साल लोजपा को लोकसभा चुनाव में चार सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि 2009 के चुनाव लोजपा को निराशा हाथ आई और पासवान भी चुनाव जीतने में असफल हो गए थे। हालंकि कुछ महीने बाद ही वे 2010 में राज्यसभा के सदस्य चुन लिए गए थे। उसके बाद 2014 के भारतीय आम चुनाव में हाजीपुर निर्वाचन क्षेत्र से 16वीं लोकसभा के लिए फिर से चुने गए।

बिहार में सफलता

रामविलास पासवान भले ही केंद्र में मंत्री बनते रहे हों, लेकिन लोजपा ने बिहार की राजनीति में भी अपनी पहचान बनाई है। पहली बार फरवरी 2005 के बिहार विधानसभा चुनावों में लोजपा को बड़ी सफलता मिली। तब वह कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरी थी। 28 विधायक जीत गए थे। राजनीतिक परिस्थितियां कुछ ऐसी बन गई थी कि बिहार में किसी की सरकार नहीं बन पाई थी। बि​हार में राष्ट्रपति शासन लग गया था। उस वक्त पासवान केंद्र में मंत्री थे। लाजपा को सबसे दूसरी उपलब्धि 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली थी। राजग के साथ गठबंधन में 7 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें 6 पर जीत हासिल हुई थी।

इनके द्वारा किए गए प्रमुख कार्य


  • केंद्रिय संचार मंत्री रहते हुए घर-घर में मोबाइल फोन पहुंचाने का काम किए।

  • आम भारतीय को राशन कार्ड के जरीए खाद्यान उपलब्ध कराए।

  • संसद भवन में भारत रत्न संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर जी का फोटो लगवाए।

  • संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर जी को भारत रत्न तथा उनके जयंती (14 अप्रैल) के उपलक्ष मे संपूर्ण देश में राष्ट्रीय अवकास घोषित कराए।

  • जीवनपर्यन्त, संसद से सड़कों तक, उन्होंने गरीब, शोषित, दलित, और पीछड़ों की आवाज का प्रतिनिधित्व किया।


  • हाजीपुर निर्वाचन क्षेत्र में इनके द्वारा किए गए प्रमुख कार्य

  • पूर्व मध्य रेलवे जोनल कार्यालय की स्थापना।

  • CIPET की स्थापना ।

  • NIPER की स्थापना ।

  • Hotel Managment की स्थापना ।

  • दूर संचार जिला कार्यालय की स्थापना।

  • इंडियन पोस्टल डिपार्टमेंट के क्षेत्रिय कार्यालय की स्थापना।

  • भारतीय खाद्य निगम की क्षेत्रिय कार्यालय की स्थापना ।

  • सुगौली - वैशाली - लालगंज हाजीपुर रेलवे लाईन की स्थापना।

  • देसरी सहवेई बरौनी बड़ी लाईन की स्थापना।

  • केंद्रिय विद्यालय की स्थापना ।

  • हाजीपुर के हजारो युवाओ को रोजगार।



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