Chirag Paswan - Lok Janshakti Party - National President - Minister of Food Processing Industries

चिराग पासवान

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री ( भारत सरकार )

सह सांसद ( हाजीपुर )


लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान अपने गृह प्रदेश बिहार समेत देश के यूथ आइकॉन बन चुके हैं। एक दशक में उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में जो मुकाम हासिल किया है, वह अपनेआप में अभूतपूर्व है। बतौर सांसद, चिराग पासवान अपने दिवंगत पिता राम विलास पासवान को आदर्श मानते हैं और उनके पदचिन्हों पर चल पड़े हैं। उन्होंने मुश्किलों से भरी राह चुनी है और पिता के अधूरे सपने को पूरा करने के लिए बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट के मिशन पर हैं।

इस बारे में उन्होंने नालंदा जिला अंतर्गत राजगीर में तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के दौरान खचाखच भरे कान्वेंशन हॉल में हुंकार भरते हुए हर उस घर में दिया जलाने का वादा किया, जहां अभी भी तरक्की की रौशनी नहीं पहुंची है। यह शिविर 22 से 24 सितंबर 2023 को आयोजित किया गया था। इस मौके पर चिराग पासवान ने 'बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट' का नारा दोहराया। संकल्प लिया - "मैं संकल्प लेता हूँ कि मेरे पिता, मेरे आदर्श स्व. रामविलास पासवान जी के विजन 'बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट' को जब तक धरातल पर नहीं उतारूंगा, तब तक चैन की सांस नहीं लूंगा।"

चिराग पासवान बिहार प्रदेश में एक सर्वमान्य नेता हैं, इसमें रत्तीभर भी संदेह नहीं। जाति और धर्म से ऊपर उठकर पिछड़पन, मानवीयता और उसमें किए जाने वाले व्यापक सुधार की बातें करते हैं। उनमें नेतृत्व की गजब की क्षमता है। बातचीत में सहजता है। अपनी बातों को पूरी स्पष्टता के साथ रखते हैं। तथ्यों और तर्कों के साथ समस्याओं को दूर करने की गुहार लगाते हैं। संवैधानिक बातों को तरजीह देते हैं। भ्रष्टाचार और सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद करने में जरा भी देरी नहीं करते हैं। पत्राचार से लेकर सीधा संवाद बनाने तक से पीछे नहीं हटते हैं।

इसी सिलसिले में उन्होंने बिहार के हालात पर अनेकों सवाल खड़े किए हैं। राज्य की सरकार द्वारा विकास के नाम पर किया गया नकारा साबित हो चुका है। करोड़ों की लागत से गंगा नदी पर बने नए पुल गिरने के कई उदाहरण सामने आ चुके हैं। निरंकुश अपराध। आए दिन हत्या और लूटपाट। शराबबंद के निशाने पर गरीब। जहरीली शराब से मौतें। विकास और सुशासन महज कागजी दिखावा। हकीकत से कोसो दूर, इत्यादि को लेकर चिराग पासवान ने कई सवाल उठाए हैं।

बिहारी से पलायान क्यों? रोजी रोटी के लिए ही नहीं, स्कूली और कॉलेज स्तर तक की पढ़ाई, प्रोफेशनल कोर्स, कोचिंग आदि के लिए दूसरे राज्यों की प्राथमिकता क्यों है? दिल्ली से लेकर कोटा तक में पढ़ने वाले से लेकर पढ़ाने वाले तक बिहारी, तो फिर पढ़ाई बिहार में क्यों नहीं? कोर्स के सत्र में देरी क्यों? इलाज के लिए बिहारी दिल्ली की दौड़ क्यों लगते हैं?

चिराग पासवान का राजनीति में प्रवेश साल 2012 में उसी वक्त हो गया था जब वह लोजपा में संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए थे। किंतु उन्हें बड़ी सफलता साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली। उन्होनें जमुई लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सुधांशु शेखर भाष्कर को 86 हजार मतों से हरा दिया था। वह लोजपा के चुने हुए छह सांसदों में से एक बन गए थे।

उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र जमुई में कई विकास कार्य किए, जो एक मिशाल बन गया। इसका असर हुआ कि उन्हें क्षेत्र के लोगों ने दोबारा सांसद चुन लिया और 2019 के चुनावों में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नजदीकी प्रतिद्वंद्वी भूदेव चौधरी को हराया, और कुल मिलाकर 528,771 वोट प्राप्त किए।

इस नजरिए से देखें तो चिराग पासवान से बिहार के लोग काफी उम्मीद लगाए हुए हैं। उनकी बढ़ती लोकप्रियता हो या फिर डैशिंग पर्सनालिटी और बॉडी लैंग्वेज युवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। उनकी दिन प्रतिदिन बढ़ती लोकप्रियता को देखकर अपने जमाने के दिग्गज राजनेता लालू प्रसाद कहने से नहीं चूके कि ‘चिराग भविष्य का नेता हैं!’ कांग्रेस के सांसद शत्रुध्न सिन्हा ने भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को दिए इंटरव्यू में चिराग की तारीफ किए बगैर नहीं रहे।

उन्होंने जब जून 2021 में बिहार में आशीर्वाद यात्रा शुरू की थी. कार्यकर्ताओं के साथ सभी जिले का दौरा किया।जैसे-जैसे यात्रा का सिलसिला बढ़ता गया, वैसे-वैसे कार्याकताओं की भीड़ बढ़ती चली गई।दो साल के भीतर ही उनकी जनसभावओं में जबरदस्त भीड़ उमड़ने लगी।सभी जनसभाओं में चिराग पासवान ने न केवल दो दशक पुरानी अपनी पार्टी की बात की, बल्कि इसकी उपलब्धियां भी गिनवाईं।यही बात लोगों के जेहन में धीरे-धीरे उतरती चली गईं और उन्होंने भी चिराग पासवान के नेतृत्व में संगठन के प्रति जबरदस्त आस्था दिखाई।

चिराग पासवान का जन्मदिन 31 अक्टूबर, 1982 है।वह राजनीतिक माहौल में पले—बढ़े।राजनीति की क्षत्रछाया बनी रही।अपने पिता स्व.रामविलास पासवान की राजनेता की कार्यशैली के अलावा समाज में लोगों के साथ घुलनशीलता से बहुत कुछ सीखने—समझने का अवसर बना रहा।पिता के काफी करीबी बनकर उन्होंने न केवल सामाजिक सरोकार को संस्कार के तौर पर अपने स्वभाव में शामिल कर लिया, बल्कि माता श्रीमति रीना पासवान के मृदु व सहयोगी स्वभाव एवं कुशल घरेलू व पारिवारिक प्रबंधन से मिले गुणों को भी अपनी कार्यशैली का हिस्सा बना लिया।

कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने करियार को नए नजरिए से देखते हुए बॉलीवुड में छलांग लगाई जरूर, लेकिन नजर पिता के कार्यक्षेत्र पर ही टिकी रही।खनकती आवाज के धनी चिराग पासवान जब राजनीति के मंच पर उतरे तब विशाल जनसमूह से लेकर मीडिया तक ने उनकी धाराप्रवाह बोलने की शैली को हाथहाथ लिया।संसद में बहस का भाषण, वक्तव्य, चुनाव प्रचार, बैठकें, बड़ी जनसभा का मंच हो, या फिर मीडिया का लाइव शो, उनमें अपनी छाप छोड़ते हुए निरंतर नए मुकाम को हासिल करते चले गए।

चिराग के कार्य



  • चिराग पासवान के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण कार्य संपन्न हुए , जो समाज के विभिन्न वर्गों के समृद्धिकरण और रोज़गार के लिए महत्वपूर्ण हैं। "चिराग के रोज़गार" नामक एक एनजीओ है, जिसका उद्देश्य बेरोज़गार युवाओं को रोज़गार प्रदान करना है।इस नामकरण के तहत,उन्होंने युवाओं को नौकरी पाने के लिए नौकरी मेला और रोज़गार के विभिन्न अवसरों को प्रदान करने के लिए कई अभियान चलाए।इसके माध्यम से चिराग पासवान ने लाखों युवाओं को रोज़गार का साधन प्रदान किया और उन्हें समृद्धि की ओर अग्रसर किया।

  • जमुई जिले में चिराग पासवान ने अपने संसदीय कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, जिनसे जमुई के विकास में काफी उन्नति हुई है। उन्होंने झाझा और सिमुलतला स्टेशन को सौंदर्यीकरण के लिए लगभग 14 करोड़ रुपये का निवेश किया।इससे जमुई के पर्यटन को बढ़ावा मिला और स्थानीय लोगों को भी रेलवे सुविधाएं मिली।

  • उन्होंने जमुई में एक मेडिकल कॉलेज का निर्माण किया, जिसका आरंभिक खर्च लगभग 500 करोड़ रुपये था।यह कॉलेज जमुई और पासवान संसदीय क्षेत्र में चिकित्सा शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण सरकारी परियोजना है।

  • चिराग पासवान ने जमुई में एफसीआई (खाद्य निगम) कार्यालय का उद्घाटन किया, जिससे स्थानीय किसानों और उत्पादकों को बड़ी सुविधा मिली और खाद्य उत्पादों के बिक्री को सुगम बनाने में मदद मिली।उन्होंने 19 करोड़ रुपये के खर्च से जमुई में एक केंद्रीय विद्यालय का निर्माण किया, जिससे जमुई के छात्रों को उच्च शिक्षा की उपलब्धता में सुधार हुआ और उन्हें उच्च स्तरीय शिक्षा का मौका मिला।

  • चिराग पासवान ने जमुई के लछुआड़ जिले में महावीर अस्पताल में 108 बेड वाले ऑपरेशन थिएटर का उद्घाटन किया।इससे अस्पताल की चिकित्सा सेवाएं और उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधाएं मिलने में मदद मिलेगी।

  • चिराग पासवान ने जमुई में पासपोर्ट कार्यालय का उद्घाटन करके लोगों को पासपोर्ट प्राप्त करने की सुविधा प्रदान की। इससे पहले, यह लोगों के लिए एक मुश्किल प्रक्रिया थी।

  • चिराग पासवान ने जमुई के और विकास के क्षेत्रों में भी अपने प्रयासों से जनता के समर्थन और आदर प्राप्त किया है, जिससे जनता के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन का संदेश मिला है।चिराग पासवान के अध्यक्षता में जमुई के संसदीय क्षेत्र में विकास की गति तेज हुई है और उनके काम ने जनता के दिलों में जगह बनाई है।उनके संसदीय कार्यकाल के दौरान उन्होंने जमुई के विकास में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिनसे जनता को सकारात्मक रूप से प्रभावित होने में मदद मिली।

    चिराग पासवान की एक और महत्वपूर्ण पहल है " बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट " अभियान, जो बिहार को समृद्धि और विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का मकसद रखता है।इस अभियान के जरिए, उन्होंने बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में विकासी योजनाओं को बढ़ावा दिया और राज्य की स्थिति को सुधारने के लिए कई कदम उठाए।इस अभियान में चिराग पासवान ने बिहार के युवाओं को सकारात्मक और उत्साही बनाने का प्रयास किया और उन्हें अपने राज्य के विकास में सक्रिय भागीदार बनाने का संकल्प लिया।

    जो बिहार को समृद्धि और विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का मकसद रखता है।इस अभियान के जरिए, उन्होंने बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में विकासी योजनाओं को बढ़ावा दिया और राज्य की स्थिति को सुधारने के लिए कई कदम उठाए।इस अभियान में चिराग पासवान ने बिहार के युवाओं को सकारात्मक और उत्साही बनाने का प्रयास किया और उन्हें अपने राज्य के विकास में सक्रिय भागीदार बनाने का संकल्प लिया।

    चिराग पासवान के नेतृत्व में हुए ये उपलब्धियां और पहलें उनके नाम को राजनीतिक दल के नेता के रूप में बढ़ावा देती हैं।उनके समर्थन से लगभग बीस करोड़ बिहारी युवा अपने सपनों को पूरा करने की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं और राजनीतिक मंच में उनके प्रति विश्वास और आदर की मानसिकता उन्हें सशक्त और प्रभावशाली नेता के रूप में उभारती है।

    चिराग फैक्टर

    बिहार की राजनीति में चिराग वह चेहरा बन चुके हैं, जिसे हर कोई अपने तरीके से अपनाना चाहता है। यही कारण है कि चिराग पासवान जिस सभा-जनसभा को संबोधित करते हैं, वहां उनके द्वारा लगाई गई हुंकार की आवाज राजनीतिक गलियारे में लंबे समय तक गूंजती रहती है। विपक्षी दलों में खलबली मच जाती है।खासकर नीतीश कुमार की पार्टी जदयू में हलचल होने लगती है, जिसे उन्होंने अपने दम पर बिहार के तीसरे नंबर पर धकेल दिया है।

    चिराग पासवान की ताकत बिहार के दो विधानसभा सीटों गोपालगंज और मोकामा के लिए उपचुनावों में देखेने को मिली।गोपलागंज की चुनावी जनसभा में उन्हें सुनने वालों की जहां जबरदस्त भीड़ उमड़ी और भीड़ में लोजपा (रामविलास) का झंडा लहराता दिखा, वहीं मोकामा में चुनाव प्रचार के दरम्यान रोड शो का काफिला 25 किलोमीटर लंबा था।दोनों सीटों पर चिराग फैक्टर ने जबरदस्त काम किया और वह अपने समर्थकों का सौ फीसदी वोट भाजपा उम्मीदवारों को दिलवाने में सफल रहे।

    गोपालगंज में चिराग फैक्टर साथ आने से भाजपा को पासवान के 8 हजार वोट मिले,जिससे उसके उम्मीदवार कुसुम देवी को 2183 वोटों से जीत मिली।कहने को तो गोपालगंज बीजेपी का गढ़ कहा जाता है, लेकिन वहां लोजपा (रामविलास) वोटों की बदौलत बीजेपी हारते-हारते बची।इसका श्रेय चिराग पासवान को ही जाता है।चिराग के आने से पासवान जाति के 8 हजार से ज्यादा वोट बीजेपी की तरफ गई।

    गोपालगंज में भाजपा के लिए कड़ा मुकाबला था, जिसे चिराग फैक्टर ने आसान बना दिया।वहां सुभाष सिंह पिछले चार चुनाव से जीत दर्ज कर रहे थे। उनके निधन के बाद हुए चुनाव में उनकी पत्नी 2183 वोटों से चुनाव जीत पाई, जबकि इससे पहले 2020 में सुभाष सिंह ने यहां से 36546 वोटों से चुनाव जीता था।

    गोपालगंज में अगर अंतिम समय में चिराग पासवान प्रचार के लिए नहीं आए होते तो यह सीट भाजपा के लिए जीत पाना मुश्किल था।गोपालगंज में राजद उम्मीदवार मोहन प्रसाद गुप्ता की हार के बाद उनके समर्थकों ने भी स्वीकार किया कि चिराग के प्रचार के बाद उनके वोटों में भारी कमी आ गई।

    दोनों उपचुनावों के लिए चिराग ने 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद पहली बार भाजपा के लिए प्रचार किया।उसके अगले साल पिता पासवान के निधन के बाद चिराग ने उनके द्वारा स्थापित पार्टी का नेतृत्व करते हुए अकेले 136 उम्मीदवार को मैदान में उतरे और 25 लाख वोट हासिल कर 6 फीसदी वोट का रिकार्ड बना लिया था।
    इसका असार जदयू पर हुआ और 2020 के विधानसभा चुनावों में उसने खराब प्रदर्शन किए।चिराग ने नीतीश कुमार की नीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ का विजन दिया था।



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